आरओई का शेयर बाजार में महत्व
आरओई का शेयर बाजार में महत्व
ROE (रिटर्न ऑन इक्विटी) का शेयर बाजार में महत्व और समझ
आरओई (इक्विटी पर रिटर्न) एक महत्वपूर्ण वित्तीय डेटाबेस है,
जो प्रतिभागियों को यह समझने में मदद करता है कि एक कंपनी ने अपनी इक्विटी की पूंजी (इक्विटी) का कितना अच्छा उपयोग किया है
और उस पर कितना लाभ अर्जित किया है।
यह अनुपात कंपनी की साझीदारिता और उसके इलेक्ट्रॉनिक्स को मापता है,
जिससे निवेशक यह दस्तावेज कर सकता है कि उसके निवेश स्थान पर कितने दर से लाभ मिल रहा है।
ROE की परिभाषा और गणना:
आरओई एक सरल वित्तीय मानक है, जिसे इस प्रकार दर्शाया जा सकता है:
यह अनुपात कंपनी के शुद्ध लाभ (शुद्ध लाभ) को उसके कुल शेयरधारक इक्विटी (शेयरधारक इक्विटी) के साथ तुलना करता है।
ROE में यह बताया गया है कि कंपनी ने अपनी सलाह से कितना लाभ कमाया है।
ROE की गणना निम्नलिखित तरीकों से की जाती है:
ROE=नेट प्रॉफिट (शुद्ध लाभ)शेयरधारक निवेश (शेयरधारक इक्विटी)×100\text{ROE} = \frac{\text{नेट प्रॉफिट (शुद्ध लाभ)}}{\text{शेयरधारक निवेश (शेयरधारक इक्विटी)}} \times 100ROE=शेयरधारक हिस्सेदारी (शेयरधारक इक्विटी)नेट प्रोफिट (शुद्ध लाभ)×100
यहाँ,
- नेट प्रॉफिट (शुद्ध लाभ): यह कंपनी का शुद्ध लाभ होता है, जो उसकी कुल आय से सभी खर्चों, करों और रुचियों को लाभ के बाद बचाता है।
- शेयरधारक हिस्सेदारी (शेयरधारक इक्विटी): यह उस हिस्सेदारी का योग है, जो कंपनी के द्वारा निवेश की गई है, और इसे कंपनी की कुल संपत्ति (संपत्ति) से उसकी कुल कंपनियां (देनदारियां) बेचती है। यह किसी भी कंपनी का बहीखाता (बैलेंस शीट) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
ROE का महत्व:
कंपनी की विशेषज्ञता का माप:
ROE आवेदकों को यह जानकारी मिलती है कि आपकी कंपनी की सहायक कंपनी से कितनी अच्छी तरह का लाभ अर्जित कर रही है।
यदि ROE उच्च है, तो यह संकेत देता है कि कंपनी ने संस्था का अच्छा उपयोग किया है
और आपके किरायेदार ने अच्छा रिटर्न दिया है।
कंपनी का ऑपरेटर:
ROE कंपनी का ऑपरेशन ऑपरेटर भी शामिल है।
उच्च आरओई में यह निहित है कि कंपनी अपनी दुकान का प्रभावशाली तरीकों से उपयोग कर रही है
और उसे अधिक लाभ प्राप्त हो रहा है। यह प्रबंधन की क्षमता, कंपनी का व्यावसायिक मॉडल,
और बाज़ार में उसकी स्थिति को भी दर्शाता है।
निवेशकों के लिए आकर्षण:
एक उच्च आरओई आवेदकों को आकर्षित किया जाता है क्योंकि यह इस बात का संकेत देता है कि
आपकी कंपनी अपनी कंपनी से अच्छा रिटर्न दे रही है। निवेशक ऐसे में निवेश करना पसंद करते हैं,
इसलिए उनका निवेश अधिक हो सकता है।
विकास दर और प्रतियोगिता में तुलना:
ROE का उपयोग विभिन्न संस्थानों के बीच तुलना करने के लिए भी किया जा सकता है।
यदि किसी कंपनी का ROE उसकी प्रतिस्पर्धियों से अधिक है, तो यह संकेत देता है कि वह अधिक प्रभावी और है।
इसी प्रकार, एक उच्च आरओई कंपनी के विकास के अच्छे अवसरों का भी संकेत मिलता है,
इसका मतलब यह है कि कंपनी ने अपनी कंपनी का अच्छा उपयोग किया है।
ROE का उपयोग कैसे करें:
कंपनी की क्षमता का प्रदर्शन:
आरओई का उपयोग यह जांचने के लिए किया जा सकता है कि आपकी कंपनी की हिस्सेदारी से कितना लाभ प्राप्त हो रहा है।
यदि किसी कंपनी का ROE 15% है, तो इसका मतलब यह है कि
उसने अपनी शेयरधारक कंपनी का 15% शुद्ध लाभ कमाया है।
इस प्रकार, एक उच्च आरओई कंपनी के बेहतर प्रदर्शन और लाभ की संभावना बताई गई है।
औद्योगिक औसत से तुलना:
आरओई का उपयोग अन्य एजेंसियों और उद्योग के औसत से तुलना करने के लिए भी किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी उद्योग का ROE 10% है, और किसी कंपनी का ROE 20% है,
तो यह कंपनी अधिक और प्रतिस्पर्धी हो सकती है। इस निर्णय लेने में यह निर्णय लेने में मदद करता है कि
कौन सी कंपनी अपने निवेश के लिए पात्र हो सकती है।
समय के साथ लाभ:
आरओई को समय के साथ ट्रैक करने से यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि
कंपनी के प्रबंधन ने अपनी कंपनी का कितना अच्छा उपयोग किया है और कंपनी का प्रदर्शन समय के साथ बेहतर हुआ है या नहीं।
यदि ROE लगातार बढ़ रहा है, तो यह संकेत है कि कंपनी का प्रदर्शन और प्रबंधन रणनीतियाँ सफल हो रही हैं।
वित्तीय परिसंपत्ति और ऋण का प्रभाव:
आरओई का विश्लेषण करते समय इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि
यह ऋण के प्रभाव से प्रभावित हो सकता है। यदि कंपनी बहुत अधिक ऋण का उपयोग करती है, तो ऋण पर ब्याज भुगतान का कारण ROE उच्च हो सकता है, जबकि कंपनी की वास्तविक वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है।
इसलिए, आरओई के साथ अन्य नुकसान जैसे रिटर्न ऑन एसेट्स (आरओए) और ऋण-इक्विटी अनुपात पर भी ध्यान देना चाहिए।
ROE के लाभ और कमी:
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लाभ:
- ROE में यह बताया गया है कि कंपनी ने अपनी हिस्सेदारी का किरायेदार से उपयोग किया है और अपने किरायेदार को कितना लाभ प्रदान किया है।
- ROE उच्च होने से यह संकेत मिलता है कि कंपनी का प्रबंधन अच्छा है और वह कंपनी के पैसे का बेहतर उपयोग कर रही है।
- यह सिद्धांत अन्य संस्थाओं और कंपनियों से तुलना करने में सहायक होता है, जिससे निवेशक बेहतर निवेश निर्णय ले सकते हैं।
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विश्लेषण:
- ROE में केवल कंपनी की झलक ही शामिल है, जबकि कंपनी के समग्र वित्तीय स्वास्थ्य का पूरा आकलन करने के लिए अन्य सामानों की भी आवश्यकता होती है।
- भारी कर्ज के कारण ROE अधिक हो सकता है, जो कंपनी की वास्तविक स्थिति को सही से नहीं बताता। इस प्रकार ऋण और आरओई के बीच संतुलन को संतुलित करना आवश्यक है।
- आरओई में आउट-ऑफ हो सकता है, खासकर तब जब कंपनी के लाभ में बड़ी घटनाएं (जैसे एकमुश्त लाभ बड़े, खर्चे या एसेट बिक्री) में बढ़ोतरी होती है।
निष्कर्ष:
ROE एक महत्वपूर्ण कंपनी वित्तीय मानक है, जो आवेदक को यह संकेत देने में मदद करता है कि
उसने अपनी संपत्ति का कितना अच्छा उपयोग किया है। उच्च आरओई यह बताता है कि कंपनी अपनी दुकान से अच्छा लाभ कमा रही है।
हालाँकि, ROE को अकेले देखना सही नहीं होगा।
इसे अन्य वित्तीय फर्मों जैसे कि ऋण-इक्विटी अनुपात, आरओए, और पीई अनुपात के साथ संयोजन में देखना चाहिए,
ताकि कंपनी की पूरी वित्तीय स्थिति का सही आकलन किया जा सके।