कब करें रिवर्स रिकॉइल ट्रेड?: बूम के बाद क्रैश रणनीति
आज हम सीख रहें हैं कब करें रिवर्स रिकॉइल ट्रेड?: बूम के बाद क्रैश रणनीति |
शेयर बाजार में हर तेजी (Boom) के बाद कभी न कभी गिरावट (Crash) जरूर आती है।
कई बार यह गिरावट अचानक होती है और कई बार धीरे-धीरे।
लेकिन कुछ अनुभवी ट्रेडर्स और निवेशक इस गिरावट को “मौका” मानते हैं — वे उसी जगह मुनाफा कमाते हैं जहाँ बाकी लोग घबराकर बाहर भाग जाते हैं।
इसे ही कहा जाता है — “रिवर्स रिकॉइल ट्रेड” (Reverse Recoil Trade)
सीधे शब्दों में कहें तो यह ऐसी ट्रेडिंग रणनीति है जिसमें निवेशक तेजी के चरम (Boom Peak) के बाद गिरावट की भविष्यवाणी कर, रिवर्स यानी उल्टी दिशा में पोज़िशन लेते हैं — यानी बेचते हैं या शॉर्ट करते हैं।
लेकिन सवाल यह है — यह ट्रेड कब करना चाहिए? इसके संकेत क्या होते हैं? और इससे जुड़े खतरे कौन-कौन से हैं?
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे —
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रिवर्स रिकॉइल ट्रेडिंग क्या है,
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कैसे पहचानें कि बूम खत्म होने वाला है,
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रणनीति क्या अपनाएं,
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फायदे-नुकसान क्या हैं,
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निवेशकों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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रिवर्स रिकॉइल ट्रेड क्या है?
रिवर्स रिकॉइल ट्रेड वह रणनीति है जिसमें ट्रेडर किसी शेयर, सेक्टर या पूरे बाजार में तेजी खत्म होने के बाद गिरावट का फायदा उठाने की कोशिश करता है।
शब्द “रिकॉइल” (Recoil) का अर्थ होता है झटका या पलटाव।
जैसे कोई रबर बैंड ज्यादा खिंच जाए तो वह पलटकर झटका देता है।
उसी तरह जब बाजार या कोई स्टॉक बहुत ज्यादा तेजी में चला जाए,
तो एक समय बाद वह रिवर्स होकर नीचे की तरफ पलटता है।
इस झटके को सही समय पर पकड़ना ही रिवर्स रिकॉइल ट्रेड कहलाता है।
उदाहरण:
मान लीजिए, किसी शेयर ने पिछले दो हफ्तों में 40% की तेजी दिखाई।
अब वह बहुत महंगे मूल्य पर पहुंच गया है।
तकनीकी चार्ट पर RSI (Relative Strength Index) 80 के ऊपर है —
यानी ओवरबॉट (Overbought) जोन में।
ऐसे में संभावना है कि अब वह गिरावट दिखाए।
अगर आप इस समय शॉर्ट सेलिंग (Short Selling) करते हैं या पुट ऑप्शन (Put Option) लेते हैं,
तो आप इस गिरावट से मुनाफा कमा सकते हैं।
यही रिवर्स रिकॉइल ट्रेड का असली सार है।
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बूम के संकेत कैसे पहचानें?
रिवर्स ट्रेड करने से पहले आपको यह जानना जरूरी है कि “बूम” कब चरम पर है।
इसके लिए कुछ क्लासिक संकेत होते हैं:
1. अत्यधिक तेजी (Parabolic Rise)
जब किसी स्टॉक या इंडेक्स की कीमत बहुत कम समय में तेज़ी से ऊपर जाती है,
तो यह अस्थिर वृद्धि होती है।
अक्सर ऐसे मूव के बाद गिरावट आती है।
2. ओवरबॉट इंडिकेटर
RSI, MACD, Bollinger Bands जैसे तकनीकी इंडिकेटर्स बताते हैं कि
कब स्टॉक बहुत ज्यादा खरीदा जा चुका है।
3. हाई वॉल्यूम पर भी प्राइस नहीं बढ़ना
जब वॉल्यूम तो ज्यादा हो लेकिन कीमत ऊपर न जा पाए,
तो यह संकेत है कि स्मार्ट मनी (Smart Money) अब बेच रही है।
4. मीडिया और पब्लिक का अत्यधिक उत्साह
जब हर जगह एक ही स्टॉक या सेक्टर की चर्चा हो —
“यह तो हमेशा ऊपर जाएगा” — यही बूम का चरम है।
5. फंडामेंटल वैल्यू से अधिक मूल्यांकन
जब कंपनी का प्राइस-टू-अर्निंग (P/E) रेशियो बहुत ज्यादा हो जाए,
तो इसका मतलब है कि निवेशक बिना आधार के उत्साह में हैं।
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क्रैश के कारण क्या होते हैं?
हर बूम का एक अंत होता है।
यह अंत कई कारणों से आता है:
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मुनाफावसूली (Profit Booking)
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खराब आर्थिक या कंपनी डेटा
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ब्याज दरों में वृद्धि
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विदेशी निवेशकों का पैसा निकालना
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या सिर्फ “अति-उत्साह” का ठंडा पड़ना
जब ये सभी कारण एक साथ आते हैं,
तो बाजार गिरने लगता है —
और यही समय होता है रिवर्स रिकॉइल ट्रेड का।
रिवर्स रिकॉइल ट्रेडिंग की रणनीति
अब बात करते हैं “कैसे करें” इस रणनीति को व्यावहारिक रूप से लागू।
(1) सही स्टॉक या सेक्टर चुनें
देखें कौन-से शेयर या सेक्टर ने हाल में अत्यधिक तेजी दिखाई है।
जैसे IT, PSU बैंक या मेटल स्टॉक्स में बूम आया हो।
(2) तकनीकी संकेतों की पुष्टि करें
RSI > 70
MACD में बियरिश क्रॉसओवर
प्राइस Bollinger Band के ऊपरी किनारे को छू रहा हो —
ये सभी रिवर्स रिकॉइल के संकेत हैं।
(3) टाइमिंग महत्वपूर्ण है
बाजार में गिरावट का अनुमान लगाना आसान नहीं होता।
इसलिए ट्रिगर कैंडल (Reversal Candle) का इंतजार करें —
जैसे Shooting Star, Bearish Engulfing या Evening Star।
(4) एंट्री और स्टॉप-लॉस तय करें
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Entry: ट्रेंड टूटने के तुरंत बाद
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Stop-loss: हाल का टॉप या रेजिस्टेंस लेवल
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Target: अगला सपोर्ट ज़ोन
(5) छोटे आकार में शुरुआत करें
रिवर्स ट्रेडिंग में रिस्क ज्यादा होता है,
इसलिए पोज़िशन छोटी रखें।
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रिवर्स रिकॉइल ट्रेड के फायदे
बड़ी गिरावट से मुनाफा:
अगर समय सही बैठ जाए तो कम समय में अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
बाजार के दोनों रुख में कमाई:
सिर्फ तेजी ही नहीं, गिरावट से भी पैसा बन सकता है।
तेज दिमाग और अनुशासन की परीक्षा:
यह ट्रेडिंग आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाती है।
रिवर्स रिकॉइल ट्रेड के नुकसान
गलत टाइमिंग का खतरा:
थोड़ी-सी गलती बड़ा नुकसान दे सकती है।
अचानक बूम का जारी रहना:
कई बार मार्केट “ओवरबॉट” होते हुए भी और ऊपर चला जाता है।
उच्च वोलैटिलिटी:
प्राइस तेजी से बदलती है, जिससे स्टॉप-लॉस हिट हो सकता है।
मार्जिन और लीवरेज रिस्क:
शॉर्ट सेलिंग या ऑप्शन ट्रेडिंग में मार्जिन की जरूरत होती है।
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कब करें और कब न करें रिवर्स रिकॉइल ट्रेड
करें जब:
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RSI > 70 और रिवर्सल कैंडल बने
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ट्रेंडलाइन टूट जाए
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न्यूज या रिजल्ट के बाद प्राइस स्थिर न रहे
न करें जब:
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मार्केट में कोई बड़ा अपट्रेंड जारी हो
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लिक्विडिटी बहुत कम हो
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आपके पास उचित रिस्क मैनेजमेंट न हो
रिवर्स रिकॉइल ट्रेडिंग के उदाहरण (भारतीय परिप्रेक्ष्य में)
उदाहरण 1:
2021 में मेटल सेक्टर ने भारी तेजी दिखाई।
JSW Steel और Tata Steel 50–70% तक बढ़े।
इसके बाद 2022 में गिरावट आई —
जिन्होंने सही समय पर शॉर्ट किया, उन्होंने अच्छा मुनाफा कमाया।
उदाहरण 2:
IT स्टॉक्स जैसे Infosys और TCS कोविड के बाद उछले।
लेकिन जब डॉलर की मजबूती और ऑर्डर स्लोडाउन आया,
तो जिन्होंने रिवर्स ट्रेड लिए, वे लाभ में रहे।
निवेशकों/ट्रेडर्स के लिए ध्यान देने योग्य बातें
- कभी भी सिर्फ भावनाओं के आधार पर रिवर्स ट्रेड न करें।
- केवल तकनीकी और मौलिक संकेतों की पुष्टि के बाद कदम उठाएँ।
- रिस्क-रिवार्ड अनुपात (Risk-Reward Ratio) कम से कम 1:2 रखें।
- स्टॉप-लॉस जरूर लगाएँ — बिना उसके यह आत्मघाती कदम है।
- हमेशा यह मानकर चलें कि “बूम” कब खत्म होगा, कोई निश्चित नहीं जानता।
- धीरे-धीरे सीखें, अनुभव बढ़ाएँ, और छोटे से शुरू करें।
रिवर्स रिकॉइल ट्रेडिंग के फायदे बनाम नुकसान
| पहलू | फायदे | नुकसान |
|---|---|---|
| रिस्क/रिवार्ड | उच्च रिटर्न की संभावना | गलत टाइमिंग से बड़ा नुकसान |
| मानसिक नियंत्रण | अनुशासन सिखाता है | भावनात्मक ट्रेडिंग से खतरा |
| मार्केट समझ | प्राइस साइकिल की समझ बढ़ती है | ज्यादा विश्लेषण में उलझने का खतरा |
निष्कर्ष
रिवर्स रिकॉइल ट्रेडिंग सुनने में आकर्षक लगती है —
क्योंकि इसमें आप उस समय कमाते हैं जब बाकी घबराए हुए होते हैं।
लेकिन यह आसान नहीं है।
यह रणनीति धैर्य, अनुभव, तकनीकी समझ और सही टाइमिंग की मांग करती है।
अगर आप शुरुआती हैं, तो पहले इसे डेमो ट्रेड या छोटे आकार से अभ्यास करें।
बिना योजना के बड़े दांव लगाना खतरनाक हो सकता है।
याद रखिए —
बाजार में हर बूम के बाद गिरावट आती है,
लेकिन सही समय पर पहचानना और सीमित जोखिम में खेलना ही
सफल रिवर्स रिकॉइल ट्रेडर की पहचान है।
FAQs
1. रिवर्स रिकॉइल ट्रेड क्या होता है?
यह ऐसी ट्रेडिंग रणनीति है जिसमें तेजी खत्म होने के बाद गिरावट से मुनाफा कमाया जाता है।
2. क्या यह सिर्फ प्रोफेशनल ट्रेडर्स के लिए है?
हाँ, शुरुआती लोगों को इसे बहुत सावधानी से करना चाहिए।
3. रिवर्स रिकॉइल ट्रेड कब करना चाहिए?
जब मार्केट या स्टॉक ओवरबॉट स्थिति में हो और रिवर्सल संकेत मिले।
4. इसे करने का सबसे अच्छा संकेत क्या है?
RSI > 70, बियरिश कैंडल और ट्रेंडलाइन ब्रेक।
5. क्या इसमें शॉर्ट सेलिंग करनी पड़ती है?
अक्सर हाँ, लेकिन ऑप्शन (Put) का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
6. क्या इसमें जोखिम ज्यादा है?
हाँ, गलत टाइमिंग बड़ा नुकसान दे सकती है।
7. क्या यह लंबे समय का निवेश है?
नहीं, यह आमतौर पर शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग रणनीति है।
8. क्या इसे हर बूम के बाद लागू किया जा सकता है?
नहीं, केवल तब जब तकनीकी संकेत इसकी पुष्टि करें।
9. क्या यह रणनीति क्रिप्टो या कमोडिटी में भी काम करती है?
हाँ, किसी भी ट्रेंडिंग मार्केट में संभव है।
10. नए निवेशक क्या करें?
पहले चार्ट पढ़ना सीखें, फिर छोटे साइज में प्रयोग करें।
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